Little Known Facts About सफलता के लिए क्या करें.

मिल मालिक की सारी अनुनय-विनय बेकार गई। देश के प्रधानमंत्री ने कम मूल्य की साड़ियाँ ही दाम देकर अपने परिवार के लिए खरीदीं। ऐसे महान थे शास्त्रीजी, लालच जिन्हें छू तक नहीं सका था।

उसका पिता, एक पेशेवर रसोइया, उसे रसोई घर में ले आया। उसने पानी से तीन घड़े भरे और प्रत्येक को एक उच्च आग पर रखा।

वह व्यक्ति नाटक देखने के लिए वहीँ बैठ गया व देखते ही देखते वह राजमहल जाकर धन लाने की बात को भूल गया। जब नाटक समाप्त हुआ तब उसे धन वाली बात याद आयी और वह दौड़ते भागते राजमहल के पास पंहुचा अफसोस दिया हुआ समय निकल चूका था सूर्य अस्त हो चुकी थी। 

"हाँ, मैं प्रधानमंत्री हूँ', शास्त्रीजी ने बड़ी शांति से जवाब दिया- 'पर इसका अर्थ यह तो नहीं कि जो चीजें मैं खरीद नहीं सकता, वह भेंट में लेकर अपनी पत्नी को पहनाऊँ। भाई, मैं प्रधानमंत्री हूँ पर हूँ तो गरीब ही। आप मुझे सस्ते दाम की साड़ियां ही दिखलाएँ। मैं तो अपनी हैसियत की साड़ियाँ ही खरीदना चाहता हूँ।"

मुश्किलों का हल – भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी

हमें गाँधी जी के इस प्रसंग से यह सीख अवश्य लेनी चाहिए की हम कभी भी किसी के साथ छूआछूत नहीं करेंगे. ऐसा करने पर हम किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि more info मानवता का दिल दुखाते है जो बिलकुल भी उचित नहीं.

५० स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए.

दरिद्र व्यक्ति बोला – मुर्ख स्त्री कितने दिन हो गए हैं मेने भोजन तक नहीं किया है ऐसे में भूखा रहकर धन को कैसे उठा कर ला पाउँगा भला?

उन्होंने खुद को तेल और गंदगी से गंदा कर दिया।

गाँधी जी की बात सुनकर आनंद स्वामी को अपनी गलती का अहसास हुआ. उन्होंने उस आम आदमी से इस बात को लेकर माफ़ी मांगी.

दोस्तों “आम का मोह” कहानी का तात्पर्य या प्रेरणा, सन्देश यह है कि जरुरत से ज्यादा मोह आपको व्यर्थ बना सकता है, वो कहते हैं ना कि कही पहुंचे के लिए कही से निकलना बहुत जरुरी होता है।

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